रोज़ ना सुन रहे है तो आप करेंगे कुछ अच्छा

विश्व के सबसे मूल्यवान ब्रांड उबर के सीईओ ने बताये कामयाबी के आजमाए हुए सूत्र....

जब में बच्चा था तो घंटों पिताजी को ठोका-पीटी करते देखता रहता था । वे इंजिनियर थे और वीकेंड पर हम चीजों के हिस्से-पुर्जे अलग करके उन्हें फिर जोड़ने का मज़ा लेते थे । यहाँ हमारा अलग तरह का मनोरंजन था । उस समय यह बात समझ में नहीं आई लेकिन, इससे मैंने ऐसी बहुत सी चीज़े सीखी, जो जिन्दगी में कुछ बनने के लिए जरुरी होती है ।
 

ये बातें थी - लगातार प्रयास करते रहना, समस्या के रचनात्मक समाधान खोजना और प्रयोग करने की प्रवत्ति । इसलिए पुराने को छोड़कर नए को अपनाने की मकर सक्रांति की भावना में मैं एक ऐसे प्रश्न का उत्तर देना चाहता हूँ, जो हाल ही में मेरी भारत यात्रा में मेरे सामने कई बार आया । 

सफल होने के लिए क्या आवश्यक है ?




सिर्फ परंपरागत सन्दर्भ में सफल नहीं, बल्कि मुक्कमल, परिपूर्ण सफलता । शुरू के 20 साल में नाकाम ही होता रहा । पहली co-founded कंपनी दिवालिया हो गयी थी । यही वजह है कि आप में वह बात होनी चाहिए जिसे में सफल होने का 'चेम्पियंस माइंडसेट' कहता हूँ । बेशक, ज्यादातर लोग जब चेम्पियंस के बारे में सोचते है तो लगातार छक्के लगाते सची जैसी किसी शक्सियत के बारे में सोचते है । लेकिन, चेम्पियंस होने का दूसरा पहलू भी होता है : कड़ी मेहनत, कठिनाईयां, तकलीफ, विपरीत स्थिति को मात देने और सबकुछ जमीन पर उतारने के क़ाबलियत, फिर चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों जाए । वहीँ असली चेम्पियन है ।

जब तक आप इस तरह सोचेगे, आप कभी नाकाम नहीं होंगे । हालांकि, कोई काम करते वक्त बेकअप प्राप्त करना कठिन होता है । इसलिए जूनून होने, प्रेरित करने और डटे रहने के लिए आपके सामने उद्देश्य होने चाहिए । उद्देश्य यानी आप यहाँ क्यों है और वह सार्थकता जो आपका काम आपको देता है । जैसा हमारा मिशन है - हर कहीं, हर किसी के लिए परिवहन सुविधा मुहेया कराना । यहाँ बहुत सरल और प्रेरक उद्देश्य भी है, क्योंकि लोस एंजिलिस से लन्दन और मेड्रिड से मुंबई तक कई शहर ऐसे लगते है, जैसे कोई पार्किंग लॉट चला आ रहा हो ।
 

आप में जादू दिखाने की योग्यता होनी चाहिए -

यानी ऐसा कुछ निर्मित करना जो खास हो । जैसे हम लोगों का वक्त बचाने के लिए बहुत कुछ करते है, क्योंकि आप खुद ड्राइविंग नहीं करते तो वह वक्त आपको वापस मिल जाता है और यह अपने आप में जादू जैसी बात है । एयरबीएनबी भी अच्छा उदहारण है कि आप वेबसाइट पर जाईये और दुनिया में कहीं भी कोई अच्छा मकान खोज लीजिये । यह पहले संभव नहीं था । इससे आपका यात्रा अनुभव बदल जाता है । निसंदेह यदि आप कोई जादू करते है लेकिन, यही उसकी नक़ल करना आसान है तो जादू ख़त्म हो जाता है । इसलिए आपको ऐसी चीज़े करनी होंगी, जो कठिन है और उनकी नक़ल करना नामुमकिन-सा हो । जरा आपने iPhone और उसके पीछे छिपी टेक्नोलॉजी को देखें, जो उसे इतना बढ़िया बनाती है। उसमे काफी गणित और विज्ञान लगा है । 5 मिनट्स के भीतर हर शहर में कार और सवारी का मेल करा देने में बहुत जटिल इंजीनियरिंग लगती है । स्टीव जॉब्स धारणा और वास्तविकता को समझने के लिए ख्यात थे। जो दिख रहा है, जैसी धारणा है, उसे ही दुनिया सच समझती है। वास्तविकता तो वही है, जो असल में सच है। बेशक, कई बार दोनों एक ही होते है। 50 लोगों को भी 2 और 2 जोड़ने को कहें तो वे 4 ही कहेंगे लेकिन, प्राय: वे बहुत अलग होते है। श्रेष्ट आंत्रप्रेन्योर यह फर्क समझते है । 

सच तो यह है कि वे ऐसे षण् खोजते रहते है जब लोग एक तरह से चीजों को देखते है, जबकि वास्तव में वह दूसरी तरह से होती है। क्योंकि उन्हें मालूम होता है कि इसी फर्क में इनोवेटर अपना खेल खेलता है। धारणा और सचाई में जितना बड़ा फर्क होगा, जादू दिखाने के लिए उतने ही बड़े अवसर होंगे। लेकिन जरुरी है कि आप सहीं हो। यदि खुद को धोखा दे रहे है या आप गलत है तो आंत्रप्रेन्योर के रूप में आप नाकाम रहेंगे। 

जैसा अल्बर्ट आईंस्टीन ने एक बार कहाँ था - 'जो भीड़ का अनुसरण करता है वह भीड़ से आगे नहीं जा पाता। जो अकेला चलता है उसके ऐसी जगह पहुचने की संभावना रहती है, जहाँ पहले कोई नहीं गया हो।' यदि आप में सच देखने की शमता है तो आप में अकेले चलने में भी महारत होनी चाहिए, क्योकि एक बार कंपनी शुरू करने के बाद आपको कई बार 'नहीं' सुनने को मिलेगा। इससे में अपने पसंदीदा गुण पर आता हूँ, : समस्या का रचनात्मक समाधान। में सीईओ के रूप में खुद को 'प्रॉब्लम सोल्वर इन चीफ' मानता हूँ। गणित के किसी सुपर स्मार्ट प्रोफेसर की कल्पना करें, जिसके पास कोई प्रॉब्लम ही ना हो। वह दुखी हो जायगा। इसलिए समस्याओं को सीखने के चुनौतीपूर्ण अवसर के रूप में देखें। 

इंजिनियर होने के कारण में जानता हूँ कि विश्लेषक होने का क्या मतलब है- मशीन के पुर्जे निकालकर अलग करना और उन्हें फिर जोड़ देना। विश्लेषक होना ही पर्याप्त नहीं है। आप में क्रिएटिविटी होनी चाहिए, क्योंकि जब आप आंत्रप्रेन्योर होते है तो कलपुर्जे अलग करके उन्हें फिर जोड़ नहीं रहे होते। बेशक, आपके पास ग्रेट आईडिया है और आप क्रिएटिविटी वाले है, लेकिन आप में आईडिया को लोगों के बीच लाने का उत्साह, बेचेनी भी होनी चाहिए। 

सिलिकोन वेली में किसी चीज़ को वायरल बनाने की चीज़ को ग्रोथ हैकिंग कहते है। इसका सम्बन्ध ऐसा तरीका खोजने से है कि लोग आपके एप या विडियो को ना सिर्फ पसंद करें, बल्कि वे तत्काल अपने मित्रों व परिवार के सदस्यों के साथ शेयर भी करना चाहे। इसमें एक किस्म का विज्ञान है, लेकिन किसी चीज़ को एकदम लोकप्रिय बनाने में प्रेरणा भी काम करती है। जैसे सेवा देने वाली कोई कंपनी के लिए कई बार आप बटन दबाने पर आइसक्रीम या बिल्ली का बच्चा या संगीतकार की मण्डली मिल जाए। यह कस्टमर को चौकाने और खुश करने का तरीका हो सकता है। आंत्रप्रेन्योर  के रूप में यही षण सबसे मजेदार होते है और महत्वपूर्ण भी। 

मेरी पूर्ववती स्टार्टअप में से एक, जो सॉफ्टवेर कंपनी थी, में दिन में सौ लोगों को बुलाता और मुझे सौ इन्कारों का सामना करना पड़ता। 7 वर्षों में मुझे, 'नहीं' कहने वाले हज़ारों लोग हो गए । वही वजह है कि आपको अपने उद्देश्य में पूरा भरोसा होना चाहिए और लुत्फ़ उठाना सीखना चाहिए अच्छे दिनों में ही नहीं, बुरे में भी।
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