अगर हममे से कोई ट्रेन यात्रा पर जाने वाला हो और किसी बीच के स्टेशन से ट्रेन में सवार होना हो तो पहला सवाल मन में यह आता है कि पता नहीं ये ट्रेन निकली है या नहीं या किधर है ? अगर यात्री वेटिंग लिस्ट में हो तो पहला सवाल होगा, मेरा टिकेट कन्फर्म होगा या नहीं ? अगर इन दोनों सवालों के जवाब मिल जाए तो अगला सवाल होगा, पता नहीं कौन से प्लेटफोर्म आएगी ट्रेन ? इन सबके बाद और सवालों के जवाब भी खोजने होते हैं कि इतनी रात को खाना मिलेगा या नहीं ? इसी तरह के कई सवाल यात्रियों को पूरी यात्रा के दौरान और मंजिल पर पहुँचने के बाद भी परेशां करते रहते है | जैसे - क्या टेक्सी मिल पायेगी या क्या पिछली बार जो होटल रूम मिला था, वही इस बार भी मिल पायेगा |
हालांकि, सिर्फ 12.5 प्रतिशन लोग ही देश में ट्रेन से यात्रा करते है, बाकी 86 प्रतिशन से ज्यादा सड़क मार्ग से जाते है | फिर भी इन सवालों को नज़र-अंदाज़ नहीं किया जा सकता, क्योंकि राइ ट्रांसपोर्ट के अलावा बाकी सभी असंगठित है | कहीं कोई बना हुआ पैटर्न नहीं है, जिसे यात्री फोलो कर सकें | वैसे भारतीय रेल IRCTC के तहत कई चीजों को अपने स्टार पर ओर्गेनाईज करने कि कोशिः करती है | इसके बावजूद कई सवाल बाकी है - जैसे मेरी ट्रेन किस समय पर, किस प्लेटफोर्म पर आएगी | इन सवालों के जवाब श्रेष्ठ मोबाइल एप मैं भी नहीं है |
आधार में अहम निभाने भूमिका वाले और इन्फोसिस के को-फाउंडर नंदन नीलेकणी के अलावा इस बड़ी कमी को और कौन बेहतर तरीके से समझ सकता है | यही कारण है कि उन्होंने और कुछ अन्य जाने-माने निवेशकों ने पिछले साल एक कंपनी रेलयात्री डॉट इन में इन्वेस्ट किया | यह अल्गोरिथम और GPS ट्रेकर कि मदद से रेल यात्रियों के सभी सवालों और जवाब तलाशनी है | 2002 में या कंपनी बनी | ये रेल बुकिंग से लेकर टेक्सी और होटल सेगमेंट तक किसी खास श्चेत्र में काम करने वाली कंपनी नहीं है | बल्कि ये पहली एग्रेगेटर कंपनी है जो एक ही एप में सभी तरह कि जानकारियां देती है | कोई आश्चर्य नहीं कि इसके पास अब तक 45 लाख मासिक विसिटर हो चुके है | ये भी उसने बिना पब्लिसिटी के हासिल किये है | उसे भरोसा है कि यह IRCTC के 1.25 करोड़ यूसर्स प्रति माह कि संख्या को पा भी कर सकती है | कंपनी के रेवेन्यू का 20 प्रतिशत से ज्यादा ह इस्सा फ़ूड से आता है | वह भी सिर्फ 100 शहरों से होटल और बस सर्विस 10 -10 प्रतिशत हिस्सा आता है | इसके अलावा हाल ही में शुरू कि गयी टिकेट बुकिंग और आन्या सर्विस से 60 प्रतिशत हिस्सा आता है |
वे हर रेल यात्री को हर तरह कि सर्विस देने वाले के रूप में खुद को साबित करना चाहते है और चाहतें है कि कोई राइ ल्यात्री आने वाले समय में किसी भी तरह का सवाल उनसे पूछ सके | वेट लिस्ट यात्री को अधिकारिक मेसेज से जानकारी मिलने से बहुत पहले ही यह जानकारी मिल जाये कि उसका टिकेट कन्फर्म हो गया है | इसके अलावा यात्री का समय बचाने के लिए उसे ट्रेन के आने का सटीक समय और प्लेटफोर्म नंबर भी पता हो | आप जितना इसे इस्तेमाल करेंगे, उतना ही यह आपके बारे में जानकारी जुटाते जायेंगे और पिछली ट्रिप में आपके द्वारा इस्तेमाल कि गयी सुविधाओं के बारे में आपको जानकारी देते रहेंगे | जैसे अगर आप पुस्तक प्रेमी है और पिछली यात्रा में आपने किसी बुक स्टाल के बारे में सर्च किया था तो अगली बार ये आपको बता देगा कि आपकी बोगी से इस बार वो बुक स्टाल कितनी दूर और कहाँ है | एप को आपकी पसंद नापसंद के बारे जितनी जानकारी मिलती जायेगी, उतना ही यह आपको रेलवे स्टेशन और इससे जुड़े शहरों के बारे में नहीं जानकारी देती रहेगी |
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