नेटवर्क मार्केटिंग में नए जुड़ने वाले लोगो को बाइनरी प्लान के हिसाब से पेमेंट किया जाता है, इस बाइनरी व्यवस्था के अंतर्गत नए जुड़ने वाले डिस्ट्रीब्यूटरस को लेफ्ट और राईट स्ट्रक्चर में लगाया जाता है | इस तरह का प्लान स्ट्रक्चर नेटवर्क मार्केटिंग में बिलकुल नया है क्यों के 80s aur 90s में काम में लिया जाता था उसके बाद इसको काम में नहीं लिया गया और अब आने वाले समय में मैं बस इसी का इस्तेमल किया जायगा |
बाइनरी प्लान कि बनावट
ये व्यवस्था 2 नंबर के तहत आती है, इसलिए इसको बाइनरी कहा गया है मतलब पहले लेवल पर हर डिस्ट्रीब्यूटर अपने नीचे सिर्फ 2 डिस्ट्रीब्यूटरस ही लगा सकता है, इसको "बिज़नस सेंटर" कहा जाता है और इसके नीचे कोई लिमिट नहीं होती आपके निचे कितने भी डिस्ट्रीब्यूटरस हो सकते है | स्ट्रक्चर की दिखने में चोडाई कम होने कि वजह से गलती से कभी कभी इसको मैट्रिक्स प्लान भी कहा जाता है पर ये गलत है, ये मैट्रिक्स प्लान नहीं है |
जैसा कि हम पड़ चुके है कि बाइनरी में 2 लेग्स होते है एक लेफ्ट लेग और दूसरा राईट लेग और जैसे जैसे बिज़नस बढता है वेसे ही लेफ्ट के निचे 2 और राईट के निचे 2 लेग और आ जाते है और ये लेग्स इनसाइड लेग्स और आउटसाइड लेग्स के नाम से जाने जाते है |
आउटसाइड लेग को पॉवर लेग भी कहा जाता है | इसमें न केवल नए डिस्ट्रीब्यूटर अपने आप लगा दिए जाते है बल्कि आपके अप लाइन भी इसके नीचे उनके पास आने वाले नए डिस्ट्रीब्यूटर भी लगाती चलती है | ये स्पिलोवर के नाम से जाना जाता है |
क्योंकि कोई भी आर्गेनाइजेशन जो नेटवर्क मार्केटिंग से बिज़नस कर रही है और बाइनरी सिस्टम को इस्तेमाल कर रही है तो बाइनरी में सिर्फ 2 ही लेग होते है इसके अलावा नया डिस्ट्रीब्यूटर कहीं और नहीं लगेगा | जैसे ही कोई नया डिस्ट्रीब्यूटर आता है वो निचे खाली पडे हुए स्पेस में लगा दिया जाता है जो कि तेज़ी से आगे बड रही है |
और दूसरी तरफ इनसाइड लेग जिसको प्रॉफिट/इनकम लेग भी कहा जाता है | ये सिर्फ आपके द्वारा बनाये गए नए डिस्ट्रीब्यूटरस ही भरी जाती है | दुसरे शब्दों में कहें तो इसमें स्पिलोवर नहीं होता है | इसलिए इन चीजों को जानना जरुरी हो जाता है अगर आपकी कंपनी भी बाइनरी प्लान को इस्तेमाल कर रही है और आपको प्रॉफिट दे रही है |
कमीशन का कैलकुलेशन और पेमेंट्स
किसी भी नेटवर्क मार्केटिंग के बाइनरी सिस्टम में कमीशन का कैलकुलेशन बिज़नस के बढने के हिसाब से होता है ना कि लेवल्स के बढने से | एक फार्मूला लगा कर ये देखा जाता है कि लेफ्ट लेग में कितना बिज़नस बड़ा है, ठीक उतना ही बिज़नस राईट लेग में भी बढाये जाते है |
उदाहरण के तौर पर, जिन कम्पनीज के द्वारा बाइनरी प्लान सबसे पहले लाया गया वो तभी कमीशन देती होगी जब दोनों लेग में बराबर का बिज़नस चलता होगा और बाद में ये साबी हो चुका है कि दोनों लेग्स को बैलेंस करना संभव नहीं है इसलिए बहुत सारी कंपनियों के द्वारा ये नियम बदल दिया गया |
आजकल कम्पनीज बिज़नस के 1/3 और 2/3 भाग पर कमीशन देती है, इसका मतलब अगर एक लेग ने 1/3 भाग से बिज़नस को बढाया और दूसरी लेग ने 2/3 भाग से बिज़नस को बढाया तो आपको कमीशन मिलेगा |
दोनों लेग्स के बीच में संतुलन
सबसे बड़ी समस्या किसी भी डिस्ट्रीब्यूटर के लिए यही आती है कि लेफ्ट और राईट के बिच में बैलेंस कैसे किया जाये | जो भी हो पर दोनों के बिच में बैलेंस करना जरुरी है बिना इसके आपका कमीशन कम हो सकता है | ये करना बहुत ही जरुरी है क्यों आपको कमीशन दोनों लेग्स में से कम बिज़नस volume वाली लाइन पर मिलता है अगर एक लेग बहुत बड़ा बिज़नस कर रही है और दूसरी कम कर रही है तो आपका कमीशन कम वाली से निर्धारित होगा |
उदाहरण के तौर पर अगर एक लेग 500 पॉइंट्स बना रही है और दूसरी लेग 2500 पॉइंट्स बना रही है तो आपको कमीशन 500 वाली लाइन से ही मिलेगा, आप अपने सरे 2500 पॉइंट्स खो देंगे अगर ये कमीशन आपके द्वारा नहीं बल्कि कंपनी के द्वारा भी बनाये गए हो तो भी खो देंगे | तो इसलिए में आपको बार बार कह रहा हु कि किसी भी नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी के साथ आप जुड़े हुए है दोनों लेग्स को बैलेंस करना जरुरी है | पर अगर क्या हो जब आपके ऊपर वालो के द्वारा नए डिस्ट्रीब्यूटर नही लगाये जाये या फिर कम हो ? इस स्थिति में आपके द्वारा किया जाने वाला काम ही सराहनीय माना जायगा | वो ही एक सफल नेटवर्क मार्केटिंग बिजनेसमैन है जो अपने द्वारा लाये गए लोगो से अपनी इनकम बदता है ना कि अपने ऊपर वालो की |
अपने ऊपर वालो पर भरोसा करना कभी कभी मुश्किल हो जाता है और आप असफल भी हो सकते है इसलिए कहा जाता है कि ये आपका अपना बिज़नस है आप इसे खुद करे तो जल्दी सफल हो जायंगे | कई बार लाइन आगे नहीं बड पाती और रुक जाती है इसलिए कई कंपनियां ऐसा भी करती है कि आप वापस से कहीं भी खुद ज्वाइन हो सकते है और अपने साथ साथ दुसरो को भी कम के दे सकते है |
बाइनरी प्लान के फायदे
बाइनरी प्लान के साथ कई फायदे है जो आप नीचे देख सकते है :1. प्लान समझना आसान - बाइनरी प्लान बाकि प्लान से समझना बहुत ही आसन है और किसी भी प्रोस्पेक्ट को समझाना भी आसान है | इसको ऐसे बोल सकते है आपके 2, आपके नीचे वाले के 2, और उसके नीचे वाले के 2 ..
2. स्पिलोवर - संभवतया सिप्लोवर बाकि सब में से सबसे स्पष्ट फायदा है इस प्लान में | वास्तव में बहुत सरे डिस्ट्रीब्यूटर इसको एक बिज़नस आगे बदने के लिए प्रलोभन के तौर पर भी इस्तेमाल करते है जैसे - आप सिर्फ एक लेग पर काम कीजिये बाकि दूसरा तो कंपनी के द्वारा अपने आप आगे बड़ा दिया जायगा | और गलती से भी आपको कोई ऐसा मिल गया जो बहुत ही एक्टिव हो और उसमे कुछ कर गुजरने का दम हो तो वो आपके वारे न्यारे कर सकता है | वो खुद तो आगे बढेगा ही साथ ही साथ आपकी भी जिन्दगी बना देगा | और आपके एक लेग को मजबूत कर देगा |
3. असीमित गहराई - बाइनरी प्लान में कोई भी सीमित संख्या नहीं है आप जितना बड़ा सकते है बड़ाइए | बस अपने लेग को बैलेंस करके चलिए |
4. बिज़नस volume पर निर्भर - कोई भी नेटवर्क मार्केटिंग बाइनरी प्लान में किसी प्रकार की लिमिट नहीं होती है जितना चाहे आप उतना उसको बड़ा सकते है | और इसका भी कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपके नीचे कितने डिस्ट्रीब्यूटर है, कम्पनी इनकी गरणा नहीं करती है | आपके पास कुछ ही डिस्ट्रीब्यूटर हो सकते है जो बहुत अच्छा काम कर रहे हो और अभी तक भी अच्छा पैसा कम रहे है |
5 टीम वर्क - जैसा कि मैंने पहले कहा था कि इसमें बैलेंस करना जरुरी है, इसी तरह इसमें आपकी टीम आपको हेल्प करती है आपके कमज़ोर लेग को मज़बूत बनाए रखने के लिए |
6. एक यही प्लान है जो एक से ज्यादा बिज़नस सेंटर कि सुविधा देता है मतलब आप वापस से किसी भी जुड़े हुए प्लान से वापस से नीचे जुड़ सकते है, इस तरह कि सुविधा और किसी भी नेटवर्क मार्केटिंग प्लान में नहीं पायी जाती है |
बाइनरी प्लान के नुक्सान
जी हाँ स्पिलोवर जैसा कि मैंने पहले बताया था कि ये सफल बनाने में जिस तरह से फायदेमंद हो सकता है उसी तरह से ये थोडा नुकसानदायक भी है |किस भी डिस्ट्रीब्यूटर के द्वारा सबसे बड़ी गलती ये हो जाती है कि वो जब किसी नेटवर्क मार्केटिंग बिज़नस से जुड़ता है तो वो सोचता है मेरा काम तो कंपनी अपने आप कर देगी और वो पीछे हट जाता है और बैठा रहता है | हा अगर आपकी अप लाइन एक्टिव है तो हा आप बहुत आगे जा सकते है | लेकिन आपके ऊपर वालो के पास भी बहुत सरे विकल्प होते है चुनने के लिए और वो अपने आने वाले नए लोगो को वहीँ पर लगाते है जो लो एक्टिव होते है |
तो आपको समझना जरुरी है कि आपको अगर कुछ पाना है तो आपको एक्टिव रहना पड़ेगा तभी आप अपने ऊपर वालो का और स्पिलोवर का फायदा ले सकेंगे |
स्पिलोवर हमेशा राईट पॉवर लेग पर ही काम करता है | इसका मतलब आपकी लेफ्ट लेग पर आपको 100% काम करना पड़ेगा | बस याद रखिये अपने नए लोगो को वहीँ पर लगाईये जहा पर से आपका जोड़ा पूरा हो सके और आपका पेआउट बन सके |
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