केवल दो कमरों से शुरू हुई थी 'ओक्सिजन'

केवल दो कमरों से शुरू हुई थी Oxigen


बेहद सामान्य परिवार में पैदा हुए प्रमोद सक्सेना का सपना बचपन से ही बड़ा बिज़नेसमैन बनने का था | 1989 में एस्सार ग्रुप में टेलीकॉम बिज़नेस  के लिए प्रमोद को सीईओ बनाया | कुल नौ साल की नौकरी में उन्होंने ग्रुप को स्थापितकिया और उत्तर भारत में पहचान दिलाई | 

1998 में उन्हें मोटोरोला ने करीब 5 लाख डॉलर की सालाना तनख्वाह पर कंपनी का एशिया पेसिफिक प्रेजिडेंट बनाया | इस सैलरी के साथ वे उस समय के भारत के सबसे महंगे एग्जीक्यूटिव में शुमार हुए | 2004 तक यह वेतन 400 प्रतिशत तक बढ़ गया | 

2004 में उन्होंने तय किया कि वे अपना खुद का काम शुरू करेंगे | 2004 में 'ऑक्सीजन सर्विस' ( वॉलेट कंपनी ) की शुरुआत 4 करोड़ की पूंजी से हुई | यह साउथ अफ्रीका की प्रीपेड कंपनी के साथ जॉइंट वेंचर था, जिसे 2 कमरे के अपार्टमेंट में 8 लोगों की टीम के साथ शुरू किया गया था | 

शुरुआत आसान नहीं थी | कंपनी को छोटे रिटेलर्स, दुकानों को अपना कांसेप्ट समझाने में बहुत मेहनत करना पड़ा | कंपनी ने अपने ही डिस्ट्रीब्यूशन चैनल से प्रचार जारी रखा | धीरे-धीरे कंपनी की स्वीकार्यता बढ़ी और छह महीने में ही कंपनी के पास 30 लोगो की टीम थी | 

2006 में कोर्स के साथ हुए जॉइंट वेंचर के बाद ऑक्सीजन ने देश की बड़ी कंपनियों को ऑडियो/वीडियो कॉन्फ्रेंस सर्विस उपलब्ध करवाना शुरू किया | 2006 में ही कुछ और निवेश कंपनी में आया, फिर 2008 में माइक्रोसॉफ्ट कारपोरेशन की मदद भी मिली | अब 5 करोड़ डॉलर की पूँजी कंपनी के खाते में थी | 

आज कंपनी रिचार्ज, बिल पेमेंट्स और पीओसी मशीन से मनी ट्रांसफर के मामले में देश में बड़ा नाम है | 2 करोड़ यूज़र्स का भरोसा इनके साथ है और 15000 से ज्यादा व्यापारी इनसे जुड़े है | देश के बड़े मोबाइल वॉलेट्स में इनकी गिनती होती है क्योंकि 170 से ज्यादा बैंकों और 15000 से ज्यादा आधुनिक व्यापारियों को इन पर भरोसा है | 


2015 में मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को सौंपने ने अपना ब्रांड एम्बेसेडर बनाया था |
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