ऐसे बचें उन मेन्टल ट्रैप्स से जो कर सकते है आपको सफलता से दूर
हमारे ब्रेन की एक खासियत है कि यह हमारे विचारों, आइडियाज, एक्शन्स व परिणामों के आधार पर अपने एनालिसिस करता है | हालांकि कई बार ये एनालिसिस पूरी तरह गगलत भी साबित होते है | इन्हे कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपिटस, कॉगनिटिव डिटॉर्शन कहते है | इनकी वजह से हम कई बार रियलिटी को किसी अन्य ही नजरिये से देखते है और उनके ट्रेप में फंस जाते है | आपको पता होना चाहिए कि लॉन्ग टर्म में ये ट्रैप्स आपकी हेल्थ, हेप्पीनेस व गोल्स को अचीव करने की क्षमता पर बुरा प्रभाव डालते है | यहाँ ऐसे ही कुछ कॉमन मेन्टल ट्रैप्स और उनसे पार पाने के बारे में बताया जा रहा है |
इमोशनल रीजनिंग : अपनी भावनाओ को सच का सबूत मान लेना एक बहुत ही आप मेन्टल ट्रेप है |
उदहारण - "मुझे लगता है कि मेरे आइडियाज की कोई वैल्यू नहीं और इसलिए मुझे इन्हे मीटिंग में शर नहीं करना चाहिए |"
cognitive थेरेपिटस सलाह देते है कि खुद से ऐसे सवाल पूछें - वे कौनसे फैक्ट्स है जो मेरे इमोशन आधारित निर्ण को स्पोर्ट करते है | भावनाओ को सच की जगह पर रखना छोड़ने से आपको स्मार्ट डिसिशन लेने के लिए जरुरी लॉजिक व क्लेरिटी मिल जाते है |
निष्पक्षता का भ्रम : इसमें इंसान को लगता है कि जिंदगी में हर परिस्थिति का निर्धारण निष्पक्षता से होना चाहिए |
उदहारण - आप इस बात पर नाराज है कि आपके कलीग को प्रोमोशन मिला और आपको नहीं | इसे लेकर आप खुद से यह कहकर शिकायत करते है कि यह सही नहीं है - "वह कभ समय पर नहीं आता और में उससे कहीं अधिक काम करता हूँ |"
शायद आपको बचपन में सिखाया गया हो कि जिंदगी हमेशा निष्पक्ष नहीं होती | निष्पक्षता के भ्रम में फसने पर आपको गुस्सा आने के साथ निराशा भी हो सकती है | ब्रिगहेम यंग यूनिवर्सिटी के साइकोलॉजी प्रोफेसर्स के अनुसार, आपको अपनी भावनाओं को प्राथमिकताओं के तौर पर देखना चाहिए | जैसे इस उदाहरण में आप खुद को यह बता सकते है - "प्रमोशन मिलना एक सुखद अहसास है, लेकिन इस पर हमेशा मेरा कण्ट्रोल नहीं होता | मैं अपने बॉस से इस बार में बात करूँगा कि कैसे मुझे अगले साल प्रोमोशन मिल सकता है |"
बुरी संभावनाओं के सच हो जाने का डर : हममे से कई लोगो को निश्चित रूप से कभी न कभी किसी बुरी संभावना के सच हो जाने के डर का सामना करना पड़ा है |
उदाहरण - आपकी कंपनी में कुछ लोगो को जॉब से निकाला जा रहा है | आपके मन में हर बुरी परिस्थिति का ख्याल आने लगता है और आप सोचने लगते है - अगर मुझे निकाल दिया गया तो मेरा क्या होगा व मैं अपनी जिमीदारियाँ कैसे निभा पाउँगा |
रिसर्चर्स के अनुसार, डर, खासतौर पर अतार्किक डर, इसमें अहम् भूमिका निभाता है | हालाँकि सबसे बुरा संभावित परिणाम सोचना, कभी भी उपयोगी नहीं होता | स्टडीज के अनुसार, इससे एंग्जाइटी व डिप्रेशन की सम्भावनाये बढ़ती है | साइकोलॉजिस्ट जूडिथ बेथ कहती है कि आप इस दर के फायदों व नुकसानों की लिस्ट के साथ ही सबसे अच्छे संभावित परिणामों की भी एक सूची बना सकते है | अब आप खुद को एक शांत व काम चिंतिंत मनोदशा में पाएंगे |
एक्सपर्ट्स का मानना है कि लॉन्ग टर्म मेन्टल ट्रैप्स आपकी हेल्थ, हेप्पीनेस व गोल्स को प्रभावित करते है |
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