Identifying VLAN'S
switch
के सभी पोर्ट्स लेयर 2 में आते है और switch के सभी interfaces, अगर ये
access port है या सभी vlan इसके trunk port हो, एक ही vlan के अंतर्गत आते
है|
निश्चित रूप से switches बहुत ही बिजी devices है | किसी भी नेटवर्क में एक switch के द्वारा लाखो की संख्या में फ्रेम्स इधर से उधर किये जाते है और साथ ही साथ उनकी देखरेख कि जाती है इसके अलावा उनके हार्डवेयर एड्रेस के आधार पर ये भी तेय किया जाता है कि उनके साथ क्या करना है | याद रहे कि हर लिंक में एक फ्रेम को अलग अलग तरीके से देखा जाता है |
यहाँ पर हम 2 तरह के switch पोर्ट्स कि बात करेंगे |
Access Ports - acces पोर्ट सिर्फ एक ही vlan से सम्बन्ध रखता है और सिर्फ उसी का डाटा लाने और भेजने का काम करता है और किसी भी प्रकार के vlan कि इनफार्मेशन (tagging) नहीं भेजी जाती है | access पोर्ट आने वाले डाटा में किसी भी प्रकार के सोर्स एड्रेस को नहीं देखता है मतलब कोई भी vlan इनफार्मेशन हो वो उसको नहीं देखता बस access पोर्ट जनता है कि वो एक vlan से सम्बंधित डाटा है | vlan के जुडी हुई इनफार्मेशन वाला डाटा सिर्फ एक trunk पोर्ट के द्वारा ही भेजा जाता है | जो भी पोर्ट access लिंक है वो किसी भी vlan मेम्बरशिप से अनजान रहता है |
और आपको बता दू कि एक switch किसी भी डाटा को आगे access लिंक में भेजने से पहले फ्रेम में से vlan कि जानकारी को हटा देता है | ध्यान रहे कि एक access लिंक डिवाइस बिना routing के अपने vlan के अलावा दुसरे vlan को डाटा नहीं भेज सकती | और ये भी ध्यान रखे कि आप किसी भी switch के पोर्ट को या तो access पोर्ट या फिर trunk पोर्ट ही बना सकते है दोनों एक साथ नहीं |
Voice Access Port - आप उलझे नहीं कि, मैंने आपसे पहले भी कहा था कि एक access पोर्ट सिर्फ एक ही vlan में लगाया जा सकता है ये किसी तरह से सही भी है | आजकल के switches आपको एक दूसरा access पोर्ट भी बनाने कि आज्ञा देते है जो कि आपके voice डाटा को भेजने के काम में आता है और ये पोर्ट voice vlan के नाम से जाना जाता है | voice vlan को auxiliary vlan कहा जाता है जो आपको vlan डाटा को ओवरलैप करने कि आज्ञा देता है जिससे एक ही पोर्ट दोनों तरह के डाटा को भेजने में सक्षम हो जाता है |
Trunk Port - आपको विश्वास हो या न हो पर एक trunk पोर्ट कि प्रेरणा टेलीफोन सिस्टम trunk से ली गयी है, जो कि एक ही समय में बहुत सारे टेलीफोन कन्वर्सेशन को लेकर जाता है | तो इसी प्रकार हम समझ सकते है कि एक trunk पोर्ट एक ही समय में बहुत सरे vlan का डाटा लेकर जा सकता है |
एक trunk लिंक 100, 1000, और 10,000 एमबीपीएस कि स्पीड से point-to-point लिंक बनाकर, switches के बीच में, switch और router के बीच में, और switch और सर्वर के बीच में भी डाटा को भेज सकता है वो भी एक समय में 1 से 4094 vlan का डाटा | trunking का सबसे बड़ा फायदा यही है कि आप एक पोर्ट को trunk करके सभी vlan के साथ जोड़ सकते है जो कि सभी vlan का डाटा एक साथ कैर्री कर सकता है | ये भी जानना जरुरी है कि, जब तक आप अपने हाथो से क्लियर नहीं करते, vlan's अपना सारा डाटा trunk पोर्ट कि तरफ भेज देते है |
अब हम फ्रेम टैगिंग के बारे में जानते है -
Fram Tagging -जैसा कि आप जानते है कि अप एक vlan को एक से ज्यादा कनेक्टेड switches तक फैला सकते है | ऊपर दिए गए trunk पोर्ट चित्र में आप देख सकते है कि किस तरह से एक switch का vlan का यूजर दुसरे switch के vlan के यूजर को trunk के द्वारा डाटा भेज सकता है और यही सबसे बड़ी खासियत है कि ऐसे ही हजारो users के बीच में डाटा को भेजा जा सकता है |
तो आप समझ सकते है कि एक switch के द्वारा इतना सारा डाटा भेजता कितना कठिन हो जाता होगा, जब एक इंसान को बहुत सारे कम दे दिए जाए तो वो ही हडबडा जाता है तो फिर तो ये एक मशीन है- तो बस इसी लिए switch द्वारा भेजे जाने वाले सारे फ्रेम डाटा की जानकारी रखने के लिए switches और vlan के लिए एक तरकीब सुझाई गयी है | और ये सब किया जाता है frame tagging के द्वारा | इस फ्रेम आइडेंटिफिकेशन मेथड के द्वारा हर यूजर के अनुरूप एक हर फ्रेम के साथ एक unique vlan id जोड़ दी जाती है |
ये कैसे काम करता है देखें - सबसे पहले एक फ्रेम जो किसी भी switch के पास पहुचता है, सबसे पहले switch उस फ्रेम टैग में से vlan id की पहचान करता है और अपनी फ़िल्टर टेबल के अनुसार ये तय करता है कि फ्रेम टैग के साथ क्या करना है | अगर कोई फ्रेम switch पर पहुचता है और उस switch में कोई trunk लिंक है तो वो फ्रेम उस trunk लिंक के द्वारा बहार भेज दिया जाता है |
जब एक switch के द्वारा एक फ्रेम को फ़िल्टर टेबल के द्वारा अपनी निर्धारित access लिंक कि तरफ भेज दिया जाता है तो उस फ्रेम में से vlan आइडेंटिफायर को हटा दिया जाता है | जिससे कि वो फ्रेम्स बिना किसी आइडेंटिफिकेशन के प्राप्त किया जा सके |
अ. Inter switch Link (ISL)
एक vlan नेटवर्क में ISL के द्वारा ट्रेवल होने वाले फ्रेम्स को ट्रैक किया जाता है | इसके द्वारा vlan में trunk लिंक के द्वारा आये हुए फ्रेम्स को ट्रैक किया जाता है | ISL लेयर 2 पर काम करता है और ये डाटा फ्रेम्स को encapsulate करके और new cycle redundancy check (CRC) करके नए header में बदल देता है | ध्यान में रखने वाली बात यह है कि ISL cisco के द्वारा बनाया गया है और सिर्फ सिस्को के Ethernet switches और gigabit Ethernet switches लिंक पर ही काम में लिया जा सकता है | लेकिन अब ये प्रोटोकॉल धीरे धीरे समाप्त होता जा रहा है और सिस्को को भी एक नए method, 802.1q की तरफ आगे बड रहा है |
बी. IEEE 802.1q
ये एक tagging का एक स्टैण्डर्ड method है जो IEEE के द्वारा बनाया गया है, वास्तव में vlan को पहचानने के लिए 802.1q फ्रेम्स में एक field को इन्सर्ट करता है | अगर आप trunking के लिए एक सिस्को का switch और कोई दूसरा switch इस्तेमाल कर रहे है तो आपको 802.1q को ही इस्तेमाल करना पड़ेगा जिससे जी आपका trunk लिंक काम कर सकते | जैसा isl करता है, फ्रेम्स को encapsulate कर देता है वेसा ये नहीं करता ये तो बस टैग कण्ट्रोल इनफार्मेशन के साथ 802.1q field को जोड़ देता है |
पर अगर आप cisco एग्जाम कि तेयारी कर रहे है तो सिर्फ 12 बिट vlan id से ही मतलब रखे | ये field vlan के बारे में पहचान करवाती है और ये 2 the power 12, minus 2 हो सकती है, 4095 रिजर्व्ड vlans के लिए इसका मतलब एक 802.1q टैग्ड फ्रेम 4094 तक इनफार्मेशन को ले जा सकता है | vlan 1 डिफ़ॉल्ट नेटिव vlan है मतलब अगर 802.1q को इस्तेमाल किया जाता है तो इनफार्मेशन के साथ कोई टैग नहीं जोड़ा जाता है |
निश्चित रूप से switches बहुत ही बिजी devices है | किसी भी नेटवर्क में एक switch के द्वारा लाखो की संख्या में फ्रेम्स इधर से उधर किये जाते है और साथ ही साथ उनकी देखरेख कि जाती है इसके अलावा उनके हार्डवेयर एड्रेस के आधार पर ये भी तेय किया जाता है कि उनके साथ क्या करना है | याद रहे कि हर लिंक में एक फ्रेम को अलग अलग तरीके से देखा जाता है |
यहाँ पर हम 2 तरह के switch पोर्ट्स कि बात करेंगे |
Access Ports - acces पोर्ट सिर्फ एक ही vlan से सम्बन्ध रखता है और सिर्फ उसी का डाटा लाने और भेजने का काम करता है और किसी भी प्रकार के vlan कि इनफार्मेशन (tagging) नहीं भेजी जाती है | access पोर्ट आने वाले डाटा में किसी भी प्रकार के सोर्स एड्रेस को नहीं देखता है मतलब कोई भी vlan इनफार्मेशन हो वो उसको नहीं देखता बस access पोर्ट जनता है कि वो एक vlan से सम्बंधित डाटा है | vlan के जुडी हुई इनफार्मेशन वाला डाटा सिर्फ एक trunk पोर्ट के द्वारा ही भेजा जाता है | जो भी पोर्ट access लिंक है वो किसी भी vlan मेम्बरशिप से अनजान रहता है |
और आपको बता दू कि एक switch किसी भी डाटा को आगे access लिंक में भेजने से पहले फ्रेम में से vlan कि जानकारी को हटा देता है | ध्यान रहे कि एक access लिंक डिवाइस बिना routing के अपने vlan के अलावा दुसरे vlan को डाटा नहीं भेज सकती | और ये भी ध्यान रखे कि आप किसी भी switch के पोर्ट को या तो access पोर्ट या फिर trunk पोर्ट ही बना सकते है दोनों एक साथ नहीं |
Voice Access Port - आप उलझे नहीं कि, मैंने आपसे पहले भी कहा था कि एक access पोर्ट सिर्फ एक ही vlan में लगाया जा सकता है ये किसी तरह से सही भी है | आजकल के switches आपको एक दूसरा access पोर्ट भी बनाने कि आज्ञा देते है जो कि आपके voice डाटा को भेजने के काम में आता है और ये पोर्ट voice vlan के नाम से जाना जाता है | voice vlan को auxiliary vlan कहा जाता है जो आपको vlan डाटा को ओवरलैप करने कि आज्ञा देता है जिससे एक ही पोर्ट दोनों तरह के डाटा को भेजने में सक्षम हो जाता है |
Trunk Port - आपको विश्वास हो या न हो पर एक trunk पोर्ट कि प्रेरणा टेलीफोन सिस्टम trunk से ली गयी है, जो कि एक ही समय में बहुत सारे टेलीफोन कन्वर्सेशन को लेकर जाता है | तो इसी प्रकार हम समझ सकते है कि एक trunk पोर्ट एक ही समय में बहुत सरे vlan का डाटा लेकर जा सकता है |
trunk port | ccna hindi |
एक trunk लिंक 100, 1000, और 10,000 एमबीपीएस कि स्पीड से point-to-point लिंक बनाकर, switches के बीच में, switch और router के बीच में, और switch और सर्वर के बीच में भी डाटा को भेज सकता है वो भी एक समय में 1 से 4094 vlan का डाटा | trunking का सबसे बड़ा फायदा यही है कि आप एक पोर्ट को trunk करके सभी vlan के साथ जोड़ सकते है जो कि सभी vlan का डाटा एक साथ कैर्री कर सकता है | ये भी जानना जरुरी है कि, जब तक आप अपने हाथो से क्लियर नहीं करते, vlan's अपना सारा डाटा trunk पोर्ट कि तरफ भेज देते है |
अब हम फ्रेम टैगिंग के बारे में जानते है -
Fram Tagging -जैसा कि आप जानते है कि अप एक vlan को एक से ज्यादा कनेक्टेड switches तक फैला सकते है | ऊपर दिए गए trunk पोर्ट चित्र में आप देख सकते है कि किस तरह से एक switch का vlan का यूजर दुसरे switch के vlan के यूजर को trunk के द्वारा डाटा भेज सकता है और यही सबसे बड़ी खासियत है कि ऐसे ही हजारो users के बीच में डाटा को भेजा जा सकता है |
तो आप समझ सकते है कि एक switch के द्वारा इतना सारा डाटा भेजता कितना कठिन हो जाता होगा, जब एक इंसान को बहुत सारे कम दे दिए जाए तो वो ही हडबडा जाता है तो फिर तो ये एक मशीन है- तो बस इसी लिए switch द्वारा भेजे जाने वाले सारे फ्रेम डाटा की जानकारी रखने के लिए switches और vlan के लिए एक तरकीब सुझाई गयी है | और ये सब किया जाता है frame tagging के द्वारा | इस फ्रेम आइडेंटिफिकेशन मेथड के द्वारा हर यूजर के अनुरूप एक हर फ्रेम के साथ एक unique vlan id जोड़ दी जाती है |
ये कैसे काम करता है देखें - सबसे पहले एक फ्रेम जो किसी भी switch के पास पहुचता है, सबसे पहले switch उस फ्रेम टैग में से vlan id की पहचान करता है और अपनी फ़िल्टर टेबल के अनुसार ये तय करता है कि फ्रेम टैग के साथ क्या करना है | अगर कोई फ्रेम switch पर पहुचता है और उस switch में कोई trunk लिंक है तो वो फ्रेम उस trunk लिंक के द्वारा बहार भेज दिया जाता है |
जब एक switch के द्वारा एक फ्रेम को फ़िल्टर टेबल के द्वारा अपनी निर्धारित access लिंक कि तरफ भेज दिया जाता है तो उस फ्रेम में से vlan आइडेंटिफायर को हटा दिया जाता है | जिससे कि वो फ्रेम्स बिना किसी आइडेंटिफिकेशन के प्राप्त किया जा सके |
vlan identification method
vlan आइडेंटिफिकेशन का मतलब switches के बीच में ट्रेवल होने वाले फ्रेम्स कि ट्रैकिंग करना है, कौनसा फ्रेम कौनसे vlan से जुड़ा हुआ है, ये सब | और ये सब करने के लिए vlan 1 से ज्यादा आइडेंटिफिकेशन methods को इस्तेमाल करता है |अ. Inter switch Link (ISL)
एक vlan नेटवर्क में ISL के द्वारा ट्रेवल होने वाले फ्रेम्स को ट्रैक किया जाता है | इसके द्वारा vlan में trunk लिंक के द्वारा आये हुए फ्रेम्स को ट्रैक किया जाता है | ISL लेयर 2 पर काम करता है और ये डाटा फ्रेम्स को encapsulate करके और new cycle redundancy check (CRC) करके नए header में बदल देता है | ध्यान में रखने वाली बात यह है कि ISL cisco के द्वारा बनाया गया है और सिर्फ सिस्को के Ethernet switches और gigabit Ethernet switches लिंक पर ही काम में लिया जा सकता है | लेकिन अब ये प्रोटोकॉल धीरे धीरे समाप्त होता जा रहा है और सिस्को को भी एक नए method, 802.1q की तरफ आगे बड रहा है |
बी. IEEE 802.1q
ये एक tagging का एक स्टैण्डर्ड method है जो IEEE के द्वारा बनाया गया है, वास्तव में vlan को पहचानने के लिए 802.1q फ्रेम्स में एक field को इन्सर्ट करता है | अगर आप trunking के लिए एक सिस्को का switch और कोई दूसरा switch इस्तेमाल कर रहे है तो आपको 802.1q को ही इस्तेमाल करना पड़ेगा जिससे जी आपका trunk लिंक काम कर सकते | जैसा isl करता है, फ्रेम्स को encapsulate कर देता है वेसा ये नहीं करता ये तो बस टैग कण्ट्रोल इनफार्मेशन के साथ 802.1q field को जोड़ देता है |
पर अगर आप cisco एग्जाम कि तेयारी कर रहे है तो सिर्फ 12 बिट vlan id से ही मतलब रखे | ये field vlan के बारे में पहचान करवाती है और ये 2 the power 12, minus 2 हो सकती है, 4095 रिजर्व्ड vlans के लिए इसका मतलब एक 802.1q टैग्ड फ्रेम 4094 तक इनफार्मेशन को ले जा सकता है | vlan 1 डिफ़ॉल्ट नेटिव vlan है मतलब अगर 802.1q को इस्तेमाल किया जाता है तो इनफार्मेशन के साथ कोई टैग नहीं जोड़ा जाता है |
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